Bookstruck

शकुन्तला

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »

एक दिन दुर्वासा शकुन्तला से मिलते हैं | उस समय शकुन्तला अपने प्रेमी दुष्यंत की याद में खोयी हुई थीं | ऐसे में दुर्वासा उनसे अपना सत्कार करने को कहते है पर वह अनदेखा कर देती हैं |इतना काफी था दुर्वासा का क्रोध बढ़ाने के लिए और वह शकुन्तला को श्राप दे देते हैं की वह जिस की याद में दुनिया भुला के बेठे है वही एक दिन उसे भूल जाएगी |जब शकुन्तला रोकर उनसे माफ़ी मांगती हैं तो वह श्राप को थोडा कम कर देते हैं | वह कहते हैं की समय आने पर दुष्यंत को सब याद आ जायेगा | ऐसा ही होता है लेकिन तब तक शकुन्तला को बहुत धिक्कार और बैज़त्ति का सामना करना पड़ता है |

« PreviousChapter ListNext »