निजता की व्यापकता
तोड़ दो संकीर्णता की उस कलम को, जिसमें अभिमान ना निज का हो। निज घाम- छांव,निज वेश भूषा,निज आसमान के फकीरों का। प्रथक करती दो मुल्कों को निज सीमा की उन्न लकीरों का। छोड़ दो संकीर्णता के उस धर्म को जिसमें अभिमान ना इनका हो।
तोड़ दो संकीर्णता की उस कलम को, जिसमें अभिमान ना निज का हो। निज घाम- छांव,निज वेश भूषा,निज आसमान के फकीरों का। प्रथक करती दो मुल्कों को निज सीमा की उन्न लकीरों का। छोड़ दो संकीर्णता के उस धर्म को जिसमें अभिमान ना इनका हो।