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श्री..ची..कविता - ४

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*श्री..ची.. कविता :- ४*
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फक्त एक वचन सखी
सोडु नको  तु मज
तुझी प्रत्येक इच्छा मी
नक्की पुर्ण  करेन गं
फक्त विश्वास ठेव तु
तुझ्या  या सजणावरी
हेच आपले प्रेमाचे बंध
घट्ट बांधले ते रेशमाने
आज मला भेटली तु
माझी चांदणी गं तु
रूप ही कांती सम
दिसे ही परीसमान
मी तुझा  राजा सखे
आपल्या या नगरीचा
राणी तु माझी सखी
प्रेमाच्या वाटेवर झाली
आपली एक  सुरू
*नवी प्रेम कहानी..*
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*तुझा .. श्री  ..💕*
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✍ लेखन - श्रीधर कुलकर्णी
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