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एड्स के लक्षण

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अक्सर एच.आई.वी से संक्रमित लोगों में लम्बे समय तक एड्स के कोई लक्षण नहीं दिखते। दीर्घ समय तक (3, 6 महीने या अधिक) एच.आई.वी भी औषधिक परीक्षा में नहीं उभरते। अधिकांशतः एड्स के मरीज़ों को ज़ुकाम या विषाणु बुखार हो जाता है पर इससे एड्स होने की पहचान नहीं होती। एड्स के कुछ प्रारम्भिक लक्षण हैं



ध्यान रहे कि ये समस्त लक्षण साधारण बुखार या अन्य सामान्य रोगों के भी हो सकते हैं। अतः एड्स की निश्चित रूप से पहचान केवल और केवल, औषधीय परीक्षण से ही की जा सकती है व की जानी चाहिये। एचआईवी संक्रमण के तीन मुख्य चरण हैं: तीव्र संक्रमण, नैदानिक ​​विलंबता एवं एड्स.


तीव्र संक्रमण

एचआईवी की प्रारंभिक अवधि जो कि उसके संक्रमण के बाद प्रारंभ होती है उसे तीव्र एच.आई.वी या प्राथमिक एच.आई.वी या तीव्र रेट्रोवायरल सिंड्रोम कहते हैं[6].कई व्यक्तियों में २ से ४ सप्ताह में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी या मोनोंयुक्लिओसिस जैसी बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं और कुछ व्यक्तियों में ऐसे कोई विशेष लक्षण नहीं दिखते. ४०% से ९०% मामलों में इस बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं जिसमे सबसे प्रमुख लक्षण बुखार, बड़ी निविदा लिम्फ नोड्स, गले की सूजन, चक्कते, सिर दर्द या मुँह और जननांगों के घाव आदि हैं. चक्कते २०%-५०% मामलों में दिखते है. कुछ लोगों में इस स्तर पर अवसरवादी संक्रमण भी विकसित हो जाता है। कुछ लोगों में जठरांत्र कि बीमारियाँ जैसे उल्टी, मिचली या दस्त और कुछ में परिधीय न्यूरोपैथी के स्नायविक लक्षण और जुल्लैन बर्रे सिंड्रोम जैसी बीमारियों के लक्षण दिखते हैं। लक्षण कि अवधि आम तौर पर एक या दो सप्ताह होती है। अपने विशिष्ट लक्षण न दिखने के कारण लोग इन्हें अक्सर एचआईवी का संक्रमण नहीं मानते. कई सामान्य संक्रामक रोगों के लक्षण इस बीमारी में दिखने के कारण अक्सर डॉक्टर और हॉस्पिटल में भी इस बीमारी का गलत निदान कर देते हैं। इसलिए यदि किसी रोगी को बिना किसी वजह के बार बार बुखार आता हो तो उसका एचआईवी परीक्षण करा लिया जाना चाहिए क्योकि या एच.आई.वी. संक्रमण का एक लक्षण हो सकता है.


नैदानिक विलंबता

इस रोग के प्रारंभिक लक्षण के अगले चरण को नैदानिक विलंबता, स्पर्शोन्मुख एचआईवी या पुरानी एचआईवी कहते हैं. उपचार के बिना एचआईवी संक्रमण का दूसरा चरण ३ साल से २० साल तक रह सकता है (औसतन ८ साल). आम तौर पर इस चरान में कुछ या कोई लक्षण नहीं दिखते है जबकि इस चरण के अंत के कई लोगों को बुखार, वजन घटना, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं और मांसपेशियों में दर्द अनुभव होता है. लगभग ५०-७०% लोगों में ३-६ महीने के भीतर लासीका ग्रंथियों (जांघ कि बगल वाली लसीका ग्रंथियों के आलावा) में सूजन या विस्तार भी देखा जाता है. हालाँकि HIV-1 से संक्रमित अधिकतर व्यक्तियों में पता लगाने योग्य एक वायरल लोड होता है लेकिन इलाज के आभाव में वह अंततः बढ़ कर एड्स में बदल जाता है जबकि कुछ मामलो (लगभग ५%) में बिना एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एड्स कि चिकित्सा पद्यति) के CD4+ T-कोशिकाएं ५ साल से अधिक शरीर में बनी रहती हैं, जिन व्यक्तियों में इस प्रकार के मामले सामने आते है उन्हें एचआईवी नियंत्रक या लंबी अवधि वृधिविहीन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और जिन व्यक्तियों में बिना रेट्रोवायरल विरोधी चिकित्सा के वायरल लोड कम या नहीं पता लगाने योग्य स्तर तक बना रहता है उन्हें अभिजात वर्ग का नियंत्रक या अभिजात वर्ग का दमन करने वाला कहते हैं


एड्स

एड्स को दो प्रकार से परिभाषित किया गया है या तो जब CD4+ टी कोशिकाओं कि संख्या जब २०० कोशिकाएं प्रति μL से कम होती हैं या तो तब जबकि एचआईवी संक्रमण के कारण कोई रोग व्यक्ति के शरीर में उत्पन्न हो जाता है[19]. विशिष्ट उपचार के अभाव में एचआईवी से संक्रमित आधे लोगों के अन्दर दस साल में एड्स विकसित हो जाता है. सबसे आम प्रारंभिक स्थिति जो कि एड्स की उपस्थिति को इंगित करती है वो है न्युमोसाईतिस निमोनिया (40%), कमजोरी जैसे कि वजन घटना, मांसपेशियों में खिचाव, थकान, भूख में कमी इत्यादि (२०%) और सोफागेल कैंडिडिआसिस (ग्रास नली का संक्रमण) होती है। इसके आलावा आम लक्षण में श्वास नलिका में कई बार संक्रमण होना भी है. अवसरवादी संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी के कारण हो सकते हैं जो कि आम तौर पर हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा नियंत्रित हो जाते हैं[22]. भिन्न भिन्न व्यक्तियों में भिन्न भिन्न प्रकार के संक्रमण होते है जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति के आस पास वातावरण में कौन से जीव या संक्रमण आम रूप से पाए जाते है. ये संक्रमण शरीर के हर अंग प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं

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