देव और ऋषि की पहली मुलाकात
दिल्ली भारत का दिल यहां अब तक कई घटनाएं हो चुकी हैं। उन्हीं घटनाओं में एक ऐसी घटना भी थी,जिसने सभी को हैरत में डाल दिया था।
मानसून का महीना पूरी दिल्ली इससे भीगी हुई थी। की लोगों की आवाज़ें चोर चोर....। आ रही थी। लोग एक कोट पहने आदमी के पीछे भाग रहे थे। वो पूरी तरह से खुद को ढक कर भाग रहा था। सिर पर टोपी,हाथों में दस्ताने पैरो में बूट्स
वह घबराए हुए भागता रहा। उसके मन में एक ही बात घूम रही थी कि बस यहां से बचकर कहीं छुप जाऊ बच जाऊ
दूसरी तरफ ऋषि भी भागता हुआ उस के पास पहुंच रहा था।उसके भी मन में एक ही बात चल रही थी कि इस बारिश स बचू कहीं किसी के नीचे छुप जाऊ वो दोनों बस भाग रहे थे। की एक मोड़ पर दोनों क टकराना हुआ वह दोनों ही गिर पड़े लेकिन देव खड़ा हुआ और फिर भागने क तयारी में लग गया। और भागने लगा टकराने की वजह से देव का कुछ सामान गिर गया। ऋषि ने देखा वो कुछ 20-25 रूपए थे। जो कि उसने अपना पेट भरने के लिए चुराए थे। उसने देखा कुछ लोग उसका पीछा कर रहे है। वो पूरा भीग चुका था। उसने मन में कहा अब में इन रूपयो क क्या करूं फिर उसने सोचा कि जब वो मिलेगा त उसे वापस क देगा और भागते हुए। अपने घर पहुंच गया। उधर देव पूरा गीला हो चुका हवाएं भी चल रही थी। देव ठंड से कांप रहा था। उसे बस एक ही बात सूझ रही थी कि कहीं आग मिल जाए जिससे वो खुद को सूखा सके। खुद को गर्म रख सके। भागते भागते क एक पुराने घर में पहुंचता है वहां पर भी पानी छत से गिर रहा होता है। वो खुद को गर्म रखने के लिए एक कोने में जाकर छुप जाता है। कुछ देर बाद जब माहौल में कुछ शांति मालूम होती है। तो वह खड़ा होकर आग जलाने के लिए कुछ ढूंढता है। घर के पास ही कुछ हलकी लकड़ियां रखी होती है। वह उनको जमा करता है। पास ही रखी एक जुट की बोरी के दो हिस्से बीच में से किए एक से उसने अपना बेड और दूसरे से खुद को गर्म रखने के लिए रजाई बनाई। ऐसे ही कुछ सुखी चीज़ों से उसने आग जलाई। और उन लकड़ियों को सुख कर जलाया और अपने कपड़े भी सुखाए। आग जलाने के बाद वो सब भूल कर सो गया।