2.बचपन से जवानी
<p dir="ltr">चला सफर बचपन से जवानी की ओर , कोई बनते दुश्मन ,कोई बनते चित चोर । बही खेल कूद ,बही यार पुराने , कभी लड़ाई झगडे कभी  अन्न बन कभी रूठते मनाते । कभी खुद को समझदार जताते तो कभी मै इंजिनियर बनूंगा, मैं डाक्टर बनूंगा ,मै अध्यापक बनूंगा सबको ये बतलाते । दरअसल ज़िन्दगी का  कोई तजुर्बा ना था क्या होती है ठोकर इसका कोई एहसास ना था , बरना आज हम भी कुछ  बन गए होते यूं किनारे बैठ लिख नहीं रहे होते । पढ़ाई की तरफ भी ध्यान किसका था ,कौन स्कूल के गेट के बाहर सबसे जल्दी पहुंचेगा ,हर कोई सोचता था ।</p>
<p dir="ltr">नकल बुरी बला है ,<br>
अक्सर ये सब सुनने में अच्छा लगता था ,असलियत तो कुछ और ही होती ,( समझने वाले समझ गए होंगे) । याद आता है ,जब अध्यापक के डंडे पड़ते थे  ,उच्तरबिद्यार्थी  की किसको पड़ी थी ,हां अगर साथ वाले दोस्त  के नम्बर अधिक हुए तो लड़ते बहुत थे ।घर वालो की डांट बहुत खाई है , ओर घर की महाभारत स्कूल में आकर अपने दोस्तो को बहुत सुनाई है ।<br>
इस दौर में हरपल दुख बस इस बात का होता है कि बस हम ज़िन्दगी को ना समझ सके ,ज़िन्दगी ने मौके दिए बहुत पर हम फिर भी संभल ना सके । पागल थे हम जो सपने बहुत देखते थे ,क्योंकि हम उन्हें आने कभी नहीं रोकते थे।<br>
आया वक्त स्कूल के आखिरी लम्हों का ,लेना था निर्णय मंजिल की पहली  सीढ़ी चड़ने का ।किया पास स्कूल को , बल्ला टल गई सोच <u>के</u>,,,, </p>
<p dir="ltr">आज भी पछता रा हूं ये सब सोच के ।।।।</p>
<p dir="ltr">वक्त दोबारा फिर बापिस कहां आता है भला।।।। </p>
<p dir="ltr">To be continui.................</p>
<p dir="ltr">नकल बुरी बला है ,<br>
अक्सर ये सब सुनने में अच्छा लगता था ,असलियत तो कुछ और ही होती ,( समझने वाले समझ गए होंगे) । याद आता है ,जब अध्यापक के डंडे पड़ते थे  ,उच्तरबिद्यार्थी  की किसको पड़ी थी ,हां अगर साथ वाले दोस्त  के नम्बर अधिक हुए तो लड़ते बहुत थे ।घर वालो की डांट बहुत खाई है , ओर घर की महाभारत स्कूल में आकर अपने दोस्तो को बहुत सुनाई है ।<br>
इस दौर में हरपल दुख बस इस बात का होता है कि बस हम ज़िन्दगी को ना समझ सके ,ज़िन्दगी ने मौके दिए बहुत पर हम फिर भी संभल ना सके । पागल थे हम जो सपने बहुत देखते थे ,क्योंकि हम उन्हें आने कभी नहीं रोकते थे।<br>
आया वक्त स्कूल के आखिरी लम्हों का ,लेना था निर्णय मंजिल की पहली  सीढ़ी चड़ने का ।किया पास स्कूल को , बल्ला टल गई सोच <u>के</u>,,,, </p>
<p dir="ltr">आज भी पछता रा हूं ये सब सोच के ।।।।</p>
<p dir="ltr">वक्त दोबारा फिर बापिस कहां आता है भला।।।। </p>
<p dir="ltr">To be continui.................</p>