Bookstruck

वक्रतुंड एकदंत गौरिनंदना।...

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »

वक्रतुंड एकदंत गौरिनंदना।
आरती मी करितों तुज हे गजानना॥धृ॥

पाशांकुशा शोभे करी दु:खभंजना।
रत्नजडित सिंहासन बुद्धिदीपना॥ सुरनरमुनि स्मरती तुला यतो दर्शना॥१॥

ऋद्धिसिद्धि करिती सद नृत्यगायना। देसि मुक्ति भक्तजनां हे दयाघना॥
विठ्ठलसुत लीन पदीं विघ्ननाशना। वक्रतुंड एकदंत॥२॥

« PreviousChapter ListNext »