
पंचतंत्र की कहानियाँ
by विष्णु शर्मा
ईसा से लगभग दो सौ तीन सौ वर्ष पूर्व पंडित विष्णु शर्मा ने पंचतंत्र की इन कहानियों को गढा था। इन कहानियों के जरिए उन्होंने एक राजा के तीन बिगडे बेटों को सही राह दिखाई थी। उन्होंने अपनी बातें पशु-पक्षियों के मुख से रोचक तरीके से कहलवाई। वही उनकी कहानी के पात्र थे। पशु-पक्षियों को आधार बनाकर उन्होंने राजकुमारों को उचित-अनुचित की शिक्षा दी। उनकी शिक्षा समाप्त होने के बाद पंडित विष्णु शर्मा ने इन कहानियों को पंचतंत्र की कहानियों के रूप में संकलित किया।
Chapters
- स्वजाति प्रेम
- चतुर बिल्ली
- अक़्लमंद हंस
- आपस की फूट
- गजराज और मूषकराज
- दोस्ती की परख
- बोलने वाली मांद
- लालच बुरी बला है
- चालक खरगोश
- कामचोर
- धोखेबाज का अंत
- चतुराई से कठिन काम भी संभव
- आवाज ने खोला भेद
- चंचलता से बुद्धि का नाश
- गलत मार्ग का परिणाम
- वंश की रक्षा
- बकरा और ब्राह्मण
- जैसे को तैसा
- नकलची बन्दर
- बंदर का कलेजा
- तीन साधु
