संगत और कुसंगत
आज के युवक और युवतीया के गलत रास्ते पर चलने का सबसे मुख्य कारण उनकी बुरी संगत होती है । वे उस माहोल में पूरी तरह से नकारत्मक विचार वाले हो जाते है। बुरी संगत से बचना ही ज्ञानी लोगो का काम होता है , एसलिये विचारो को सावधानीपूरवक चुनिये क्युकी विचार ही आपका भविष्य तय करता है ।
एक सकारात्मक व्यक्ति अच्छा होने के कारण भी वह बुरे लोगो के बीच में जाकर कीचड़ के दल-दल में फसने के लिए तयार हो जाता है ।
समझदार व्यक्ति सही और गलत की परख करने के बाद ही वह अपने अच्छे और बुरे संगत का चुनाव करता है। बुरे संगत के बीच में रहने से अनेक नकारात्मक परिणाम देने वाले शौक पलते है , जिससे मनुष्य उस शौक को पूरा करने के लिए वह किसी भी सीमा को पार कर देते है । जब दसवी कक्षा पास करके कोइ बच्चा या बच्ची महाविद्यालय में प्रवेश करते है तो वह समय कठिन होता है ,
तो वह समय उनके लिए अपने एक अच्छेे जीवन के बारे में सही फैसला लेना होता है , न कि गलत लोगो के बीच रहने का चुनाव् होना चाहिये ।
संगत में रहने से किसी बच्चे की मंजिल का सीढी एक कदम करीब हो जाता है । ठीक उसी जगह कुसंगत में रहने से एक कदम आगे बढ़ने के बजाय दस कदम पीछे हो जाते है अपनी मंजिलो से ।
जीस तरह से कछुव़ा धीम गती से चलते-चलते अपनी मंजिल तक पहुच जाता है यदि उसी तरह मनुष्य भी केवल अपने मंजिल के रास्ते को अपना मुकाम समझ कर चले तो उसे अपनी मंजिल हासील करने से कोइ नही रोक सकता है । संगत और कुसंगत ही हमारे जीवन को पूरी तरह से सफलता ओर असफलता की और ले जाता है ।
अच्छा संगत वो नही , जिसके अधिकांस सदस्य अच्छे है , बल्कि वह है ,जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत प्रयत्नशील है।