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पोटा पुरती भाकरी । देगा न...

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पोटा पुरती भाकरी । देगा न देगा बा हरी ॥१॥

लाज झांकाया लंगोटी । मिळो न मिळो जीर्ण ती ॥२॥

देह रोगें होवो क्षीण । परी मन पायीं लीन ॥३॥

जनीं वनीं वा स्मशानीं । देह पडो त्वत्स्मरणीं ॥४॥

दत्त दत्त ऐसें ध्यान । मन व्हावें हें उन्मन ॥५॥

सर्वां भूतीं ’रंग’ रुप । एक अभंग अनुप ॥६॥

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