Bookstruck

आमद-ए-ख़त से हुआ है

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »

आमद-ए-ख़त[1] से हुआ है सर्द जो बाज़ार-ए-दोस्त
दूद-ए-शम-ए-कुश्ता[2] था शायद ख़त-ए-रुख़्सार-ए-दोस्त[3]

ऐ दिले-ना-आ़क़बत-अंदेश[4] ज़ब्त-ए-शौक़[5] कर
कौन ला सकता है ताबे-जल्वा-ए-दीदार-ए-दोस्त[6]

ख़ाना[7]-वीरां-साज़ी-ए-हैरत[8]-तमाशा कीजिये
सूरत-ए-नक़्शे-क़दम[9] हूँ रफ़्ता-ए-रफ़्तार-ए-दोस्त[10]

इश्क़ में बेदाद-ए-रश्क़-ए-ग़ैर[11] ने मारा मुझे
कुश्ता-ए-दुश्मन[12] हूँ आख़िर, गर्चे था बीमार-ए-दोस्त

चश्म-ए-मा-रौशन[13] कि उस बेदर्द का दिल शाद[14] है
दीदा-ए-पुरख़ूँ हमारा साग़र-ए-सरशार-ए-दोस्त[15]

ग़ैर यूं करता है मेरी पुरसिश[16] उस के हिज़्र[17] में
बे-तकल्लुफ़ दोस्त हो जैसे कोई ग़मख़्वार-ए-दोस्त

ताकि मैं जानूं कि है उस की रसाई[18] वां तलक
मुझ को देता है पयाम-ए-वादा-ए-दीदार-ए-दोस्त[19]

जबकि मैं करता हूं अपना शिकवा-ए-ज़ोफ़-ए-दिमाग़[20]
सर करे है वह हदीस-ए-ज़ुल्फ़-ए-अम्बर-बार-ए-दोस्त[21]

चुपके-चुपके मुझ को रोते देख पाता है अगर
हंस के करता है बयाने-शोख़ी-ए-गुफ़्तारे-दोस्त

मेहरबानी हाए-दुश्मन की शिकायत कीजिये
या बयां कीजे, सिपासे-लज़्ज़ते-आज़ारे-दोस्त[22]

यह ग़ज़ल अपनी मुझे जी से पसन्द आती है आप
है रदीफ़[23]-ए-शेर में 'ग़ालिब' ज़बस तकरार-ए-दोस्त[24]

शब्दार्थ:
  1. उजाला होने
  2. बुझे हुए चिराग का धुँआ
  3. प्रियतम का चेहरे का रोंआ
  4. परिणाम ना समझने वाला दिल
  5. शौक़ को संयत कर
  6. प्रिय को देखने का सामर्थ्य
  7. घर
  8. बरबादी से उत्पन्न हैरानी
  9. पद्दचिन्ह के समान
  10. प्रिय की मंथर गति पर मोहित
  11. प्रतिद्वंदी की ईर्ष्या
  12. दुश्मन का मारा हुआ
  13. मेरी आंख प्रकाशमान है
  14. प्रसन्न
  15. यार के तिए भरा हुआ प्याला
  16. पूछ-ताछ
  17. वियोग
  18. पहुंच
  19. प्रिय के दर्शन के वचन के संदेश
  20. मानसिक दुर्बलता की शिकायत
  21. प्रिय की खुशबू बिखेरने वाली ज़ुल्फ़ की बात
  22. प्रिय द्वारा मिलने वाली तकलीफ के आनन्द की प्रशंसा
  23. हर शेर के अन्त में आने वाले समान शब्द
  24. प्रिय शब्द का बार-बार ज़िक्र
« PreviousChapter ListNext »