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आबरू क्या ख़ाक उस गुल की कि गुलशन में नहीं

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आबरू क्या ख़ाक उस गुल की कि गुलशन में नहीं
है गिरेबां नंगे-पैराहन[1] जो दामन में नहीं

ज़ोफ़[2]से ऐ गिरियां[3], कुछ बाक़ी मेरे तन में नहीं
रंग हो कर उड़ गया, जो ख़ूं कि दामन में नहीं

हो गए हैं जमअ़[4] अज्ज़ा[5]-ए-निगाहे-आफ़ताब[6]
ज़र्रे उसके घर की दीवारों के रौज़न[7]में नहीं

क्या कहूँ तारीक़ी-ए-ज़िन्दाने-ए-ग़म[8] अन्धेर है
पम्बा[9] नूरे-सुबह से कम जिसके रौज़न में नहीं

रौनक़े-हस्ती है इश्क़े-ख़ाना-वीरां-साज़[10] से
अंजुमन बे-शम्अ़ है, गर बर्क़[11] ख़िरमन[12] में नहीं

ज़ख्म सिलवाने से मुझ पर चाराजोई[13] का है ताअ़न[14]
ग़ैर समझा है कि लज़्ज़त ज़ख़्मे-सोज़न[15] में नहीं

बस कि हैं हम इक बहारे-नाज़ के मारे हुए
जल्वा-ए-गुल के सिवा गर्द अपने मदफ़न[16] में नहीं

क़तरा-क़तरा इक हयूला है, नए नासूर का
ख़ूँ भी ज़ौक़े-दर्द[17] से फ़ारिग़[18] मेरे तन में नहीं

ले गई साक़ी की नख़्वत[19] कुल्ज़ुम-आशामी[20] मेरी
मौजे-मय की आज रग[21] मीना[22] की गर्दन में नहीं

हो फ़िशारे-ज़ोफ़[23] में क्या नातवानी[24] की नुमूद[25]
क़द के झुकने की भी गुंजाइश मेरे तन में नहीं

थी वतन में शान क्या ग़ालिब, कि हो ग़ुरबत[26] में क़द्र
बे-तक़ल्लुफ़[27] हूँ वो मुश्ते-ख़स[28] कि गुलख़न[29] में नहीं

शब्दार्थ:
  1. वस्त्रों को लज्जाने वाला
  2. दौर्बल्य,दुर्बलता,क्षीणता
  3. रुदन
  4. इकठ्ठे
  5. टुकड़े,खण्ड
  6. सूर्य-दृष्टि
  7. रोशनदान
  8. शोक के कारागार का अँधेरा
  9. रूई का फाहा
  10. घर की तबाही
  11. बिजली
  12. खलिहान
  13. उपचार
  14. व्यंग्य
  15. सूई का ज़ख्म
  16. क़ब्र,समाधी
  17. पीड़ा की रुचि
  18. स्वतन्त्र
  19. घमण्ड
  20. समुन्दर को पी जाना
  21. नस
  22. मय पात्र
  23. वृद्धावस्था
  24. निर्बलता
  25. आभास
  26. परदेस
  27. अनौपचारिक
  28. मुठ्ठी भर घास
  29. भठ्ठी
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