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दीवानगी से दोश पे जुन्नार भी नहीं

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दीवानगी से दोश[1] पे ज़ुन्नार[2] भी नहीं
यानी हमारे जैब[3] में इक तार भी नहीं

दिल को नियाज़े[4]-हसरते-दीदार[5] कर चुके
देखा तो हममें ताक़ते-दीदार[6] भी नही

मिलना तेरा अगर नहीं आसां तो सह्ल[7]है
दुश्वार[8] तो यही है कि दुश्वार भी नहीं

बे-इश्क़[9] उम्र कट नहीं सकती है और यां[10]
ताक़त बक़द्रे[11]-लज़्ज़ते-आज़ार[12] भी नहीं

शोरीदगी[13] के हाथ से है सर वबाले-दोश[14]
सहरा में ऐ ख़ुदा कोई दीवार भी नहीं

गुंजाइशे-अ़दावते-अग़यार[15]इक तरफ़
यां दिल में ज़ोफ़[16]से हवसे-यार भी नहीं

डर नाला-हाए-ज़ार[17]से मेरे ख़ुदा को मान
आख़िर नवाए-मुर्ग़े-गिरफ़तार[18]भी नहीं

दिल में है यार की सफ़े-मिज़गां[19]से रूकशी[20]
हालाँकि ताक़ते-ख़लिशे-ख़ार[21]भी नहीं

इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं

देखा ‘असद’ को ख़ल्वत[22]-ओ-जल्वत[23]में बारहा
दीवाना गर नहीं है तो हुशियार भी नहीं

शब्दार्थ:
  1. कंधा
  2. जनेऊ
  3. गिरेबान
  4. आकांक्षा
  5. दर्शनों की इच्छा
  6. देखने की शक्ति
  7. आसान
  8. कठिनाई
  9. बिना प्रेम के
  10. यहाँ
  11. अत्याधिक
  12. दुखों का स्वाद
  13. जुनून
  14. कंधे की मुसीबत
  15. ग़ैरों की दुशमनी
  16. कमज़ोरी
  17. आर्तनाद
  18. क़ैद पक्षी का रुदन
  19. पलकों की पंक्ति
  20. सम्मुख
  21. काँटे की चुभन
  22. एकान्त
  23. सभा
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