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कब वो सुनता है कहानी मेरी

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कब वो सुनता है कहानी मेरी
और फिर वो भी ज़बानी मेरी

ख़लिशे-ग़म्ज़-ए-खूँरेज़[1] न पूछ
देख ख़ूनाबा-फ़िशानी[2] मेरी

क्या बयाँ करके मेरा रोएँगे यार
मगर आशुफ़्ता-बयानी[3] मेरी

हूँ ज़िख़ुद-रफ़्ताए-बैदा-ए-ख़याल[4]
भूल जाना है निशानी मेरी

मुत्तक़ाबिल[5] है मुक़ाबिल[6] मेरा
रुक गया देख रवानी मेरी

क़द्रे-संगे-सरे-रह[7] रखता हूँ
सख़्त-अर्ज़ाँ[8] है गिरानी[9] मेरी

गर्द-बाद-ए-रहे-बेताबी[10] हूँ
सरसरे-शौक़[11] है बानी[12] मेरी

दहन[13] उसका जो न मालूम हुआ
खुल गयी हेच-मदानी[14] मेरी

कर दिया ज़ओफ़[15] ने आज़िज़[16] "ग़ालिब"
नंग-ए-पीरी[17] है जवानी मेरी

शब्दार्थ:
  1. रक्तिम कटाक्ष की चुभन
  2. रक्त-अश्रु-बहाना
  3. झूठी कहानी,बकवास
  4. कल्पना के जंजाल में खोया हुआ
  5. जो मुक़ाबले पर न आ सके
  6. प्रतिद्वन्द्वी
  7. सड़क किनारे पड़े पत्थर जितनी कीमत
  8. तुच्छ
  9. महत्ता
  10. बेचैनी की सड़क की आँधी
  11. जोश की आँधी
  12. विशेषता
  13. मुँह
  14. मूर्खता
  15. निर्बलता
  16. तंग,दुखी
  17. बुढ़ापे को लज्जित करने वाली
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