Bookstruck

आदिरूप समूळ प्रकृति नेम व...

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »

आदिरूप समूळ प्रकृति नेम वैकुंठ उत्तम सर्वत्र असे ॥१॥

तें रूप संपूर्ण वोळलें परींपूर्ण । सर्व नारायण गोपवेष ॥२॥

आधारीं धरिता निर्धारीं । सर्वत्र पुरता एकरूपें ॥३॥

निवृत्ति साधन सर्वरूपें जाण । एकरूपें श्रीकृष्ण सेवितसे ॥४॥

« PreviousChapter ListNext »