Bookstruck

व्याप्तरूपें थोर व्यापक अ...

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »

व्याप्तरूपें थोर व्यापक अरूप । दुसरें स्वरूप नाहीं जेथें ॥१॥

तें अव्यक्त साबडें कृष्णाचें रूपडें । गोपाळ बागडें तन्मयता ॥२॥

उन्मनि माजिटें भोगिती ते मुनी । मुर्तिची पर्वणी ह्रदयीं वसे ॥३॥

निवृत्ति कारण कृष्ण हा परिपूर्ण । यशोदा पूर्णघन वोळलेंसे ॥४॥

« PreviousChapter ListNext »