Bookstruck

बिजली इक कौंद गयी आँखों के आगे तो क्या

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »

बिजली इक कौंद गयी आँखों के आगे तो क्या,
बात करते कि मैं लब तश्नए-तक़रीर भी था ।
पकड़े जाते हैं फरिश्तों के लिखे पर नाहक़,
आदमी कोई हमारा, दमे-तहरीर भी था ?

« PreviousChapter ListNext »