Bookstruck

वां उस को हौल-ए-दिल है तो यां मैं हूं शरम-सार

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »

वाँ उस को हौल-ए-दिल है तो याँ मैं हूँ शर्म-सार
यानी ये मेरी आह की तासीर से न हो

अपने को देखता नहीं ज़ौक़-ए-सितम को देख
आईना ता-कि दीदा-ए-नख़चीरर से न हो

« PreviousChapter ListNext »