Bookstruck

कविता १२

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थी पास तुम इसलिए मुस्कुराता चला गया,
अंजान थी राहें मगर कदम बढ़ाता चला गया,
थाम लोगी हाथ कभी जो फिसल जाऊंगा,
मूंद आंख यही ख़्वाब सजाता चला गया,
थी पास तुम इसलिए मुस्कुराता चला गया....
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