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आतंकवाद एक आपदा

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आपदाओं से भी बड़ी आपदा
हैं यह आतंकवाद,मानवता
का अंत हैं इसकी शुरुआत
मासूम लोग आये दिन होते हैं
इसका शिकार,विशव भर
में फैला है,महामारी की तरह
कितने ही घर हैं इसने उजारे
कितने बच्चे हुए अनाथ
कितनी महिलाएं विधवा हो गई
जिसका कारण यह आतंकवाद
जाने कब इसका अंत होगा
कब इससे मुक्त हो पाएगें
थेथर के वृक्ष के समान हैं यह
क्या इसे जड़ से उखाड़ पाएँगे
हो सकता है अंत इसका
यदि विशव के देश मिलकर
कदम उठाएँ तो यदि हर एक
मानव में मानवता का दीप जलाए तो

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