Bookstruck

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बात उस समय की है , जब मैं हाई स्कूल में पढ़ता था ।परीक्षाएं हो गई थी और मैं अपने मामा के यहाँ छुट्टियां बिताने के लिये जाना चाहता था । कहते हैं कि जो आप दिल से चाहते है वो अक्सर हो जाता है अचानक मेरे मामा जी मामी को लेकर हमारे घर आ पहुँचे । मै बहुत खुश हुआ मैं ने भी अपनी तैयारी बना ली लेकिन एक समस्या आ गई ,मामा जी अपनी बाइक पर थे और उनका पूरा परिवार  फिर मैं कैसे आ सकता था पूरी सीट फुल थी ।मैं ने कहा मैं बस से चलूँगा  मामा ने कहा ठीक है हम चलते हैं तुम बस से आ जाना मैं ने कहा ठीक है और मामा चले गए ।
             दोपहर के करीब दो बजे मैं भी घर से निकल पड़ा मेरे गाँव से दो किमी की दूरी पर बस स्टैंड है , मैं पैदल चल कर वहाँ पहुंचा काफी इंतजार के बाद मुझे बस मिली मुझे दो जगह पर बस बदलनी भी थी  वहाँ भी बहुत ही इंतजार के बाद मुझे बस मिली ,मुझे काफी देर हो चुकी थी अब भी मेरी मंजिल मुझसे करीब बीस किमी दूर थी ।
           रात के नौ बजे मुझे एक ट्रक मिला मैं उस मे बैठ गया । मैं ने कन्डक्टर से बोला कि मुझे पुल पार करके उतार दे वो बोला ठीक है और चल दिया । कुछ समय बाद गाड़ी रुकी मैं ने पूछा क्या हुआ ड्राइवर बोला होटल में खाना खाने के बाद ही यहाँ से चलेंगे ,मैं ने कहा ठीक है खालो । मैं समझ गया आज किसी गलत समय में घर से निकला  था ,देर पर देर होती जा रही थी पर मैं करता भी तो क्या  मेरी कुछ समझ मे नही आ रहा था ।एक एक मिनट मेरे लिये घण्टो के समान प्रतीत होता ।मैं इसी उधेड़बुन में था कि करीब आधा घंटा बाद दोनों ड्राइवर और कंडक्टर आ गए मैं बड़ी विनम्रता से बोला भाई जल्दी चलो  वो बोला घबराओं नही बस अभी पहुचाते है मैने कहा ठीक है और गाड़ी चल दी ।

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