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पुलवामा

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पुलवामा

रोटी खाता हूं तो लहू का स्वाद आता है

मुझे तो बस पुलवामा याद आता है।

भजन में भी विधवा का,

हाहाकार नजर आता है।

मुझे तो बस पुलवामा याद आता है।।

आज तिरंगा भी कुछ

यो लहरा रहा है,

पूछता हूं मैं खुद से,

हवा किधर की है,

ये किधर जा रहा है।।

धोखा जिसने किया

उससे क्या बात करनी।

प्रतीक्षा में दो-चार और

शहादत भरनी।।

खून तो यू ही खौलेगा ना,

बदला बदला बोलेगा ना।।

मेरे सैनिक का शव जो

टुकडों में यों जा रहा है।

मुझे तो बस पुलवामा याद आ रहा है।।

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