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राम गुण गायो नहीं

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राम गुण गायो नहीं आय करके, जमसे कहोगे क्या जाय करके॥टेर॥
गर्भ में देखी नरक निसानी, तब तू कौल किया था प्रानी।
भजन करुँगा चित्त लाय करके॥१॥
बालपनेमें लाड लडायो, मात-पिता तने पालणे झुलायो।
समय गमायो खेल खाय करके॥२॥
तरुण भयो तिरिया संग राच्यो, नट मर्कट ज्यों निशदिन नाच्यो।
माया में रह्यो रे भरमाय करके॥३॥
जीवन बीत बुढ़ापो आवे, इन्द्री सब शीतल होय जावे।
तब रोवोगे पछताय करके॥४॥
वेद पुरान संत यों गावे, बार बार नर देही न पावे।
देवकी तिरोगे हरि गाय करके॥५॥

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