Bookstruck

हे गोविन्द राखो शरन

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »

हे गोविन्द हे गोपाल

हे गोविन्द राखो शरन
अब तो जीवन हारे

नीर पिवन हेत गयो सिन्धु के किनारे
सिन्धु बीच बसत ग्राह चरण धरि पछारे

चार प्रहर युद्ध भयो ले गयो मझधारे
नाक कान डूबन लागे कृष्ण को पुकारे

द्वारका मे सबद दयो शोर भयो द्वारे
शन्ख चक्र गदा पद्म गरूड तजि सिधारे

सूर कहे श्याम सुनो शरण हम तिहारे
अबकी बेर पार करो नन्द के दुलारे

« PreviousChapter ListNext »