ऊंचे नेता
<p dir="ltr">पहले पहना भगवा सूट फिर दे दी मनमानी छूट सभा में सांसद दिन विधायक कूट सभा में सांसद दिन विधायक कूट अरे भोले फेंकू फेंक छोटा करके देखिए, तुम अपना विस्तार |<br>
एक वक्त की भूख है ,बाकी सब बेकार ||</p>
<p dir="ltr">झूठी खुशियां है बहुत, मन में हिंसा  पाप |<br>
जो थोड़ा चिंतन करो ,सच खुश होवें आप ||</p>
<p dir="ltr">पहले पहना भगवा सूट , फिर दे दी मनमानी छूट |<br>
बुरा लगा तो बीच सभा में ,सांसद दीन्ह विधायक कूट।।</p>
<p dir="ltr">पप्पू पप्पू मिलकर बोलो ,फेंकू फेंक सके तो फेक ।<br>
तेरी फेंकी लागे ना ,बुआ भतीजे हो गये एक ।।</p>
<p dir="ltr">माना प्रहरी चोर ,उसे क्यों गले लगाया।<br>
चोर चोर थे भ्रात ,ये भारत समझ ना पाया ।।</p>
<p dir="ltr">मंत्री नेता और पुलिस ,सबको भावे घूस |<br>
पावत है कमजोर जब ,तबहि  मनावत पूस ||</p>
<p dir="ltr">सच तो कड़वा होत है, देश ठेस पहुंचाए |<br>
जाको कड़वा ना लगे ,साधु सम तेहि जान ||</p>
<p dir="ltr">लेखक कवि लिखता वही ,मन जो देखा  होय |<br>
पंडित होता वह नहीं ,जो ज्योतिष पढ़ लेय ||</p>
<p dir="ltr">बे मातायें धन्य है ,जिनके हुए शहीद |<br>
हिंदू घर होली मने ,ना मुस्लिम  घर ईद  ||</p>
<p dir="ltr">सरहद पर जब वस-चले ,कर दुश्मन का ढेर |<br>
जिनके दिल में देश है ,उनको कहां सबेर ||</p>
<p dir="ltr">जो शहीद हो देश पर ,धन्य जिंदगी हुई |<br>
बे माताएं धन्य है  ,जिन अस संतति होय ||</p>
<p dir="ltr">सरहद पर सैनिक रहे ,हर पल आंखें खोल |<br>
जिन को भाते हैं यहां ,जय माता के बोल ||</p>
<p dir="ltr">जय माता की बोल ,जिन्हें सुख पहुंचाते |<br>
जो सेवा में लीन ,वो भारत पुत्र कहाते||</p>
<p dir="ltr"> मंत्री करते हैं यहां ,इज्जत का व्यापार |<br>
खुद में है फुर्सत नहीं ,कहां से देंगे प्यार ||<br><br><br></p>
<p dir="ltr">                     मधुकर सिंह चौहान..........<br></p>
<p dir="ltr"> तेरी मीठी लागे ना बुआ भतीजे हो गई एक माना प्रहरी चोर उसे क्यों गले लगाया चोर चोर थे अब रात भारत समझ न पाया उसे क्यों गले लगाया चोर चोर थे अब रात भारत समझ ना पाया</p>
<p dir="ltr">छोटा करके देखिए, तुम अपना विस्तार |<br>
एक वक्त की भूख है ,बाकी सब बेकार ||</p>
<p dir="ltr">झूठी खुशियां है बहुत, मन में हिंसा  पाप |<br>
जो थोड़ा चिंतन करो ,सच खुश होवें आप ||</p>
<p dir="ltr">मंत्री नेता और पुलिस ,सबको भावे घूस |<br>
पावत है कमजोर जब ,तबहि  मनावत पूस ||</p>
<p dir="ltr">सच तो कड़वा होत है, देश ठेस पहुंचाए |<br>
जाको कड़वा ना लगे ,साधु सम तेहि जान ||</p>
<p dir="ltr">लेखक कवि लिखता वही ,मन जो देखा  होय |<br>
पंडित होता वह नहीं ,जो ज्योतिष पढ़ लेय ||</p>
<p dir="ltr">जय माता की बोल ,जिन्हें सुख पहुंचाते |<br>
जो सेवा में लीन ,वो भारत पुत्र कहाते||</p>
<p dir="ltr"> मंत्री करते हैं यहां ,इज्जत का व्यापार |<br>
खुद में है फुर्सत नहीं ,कहां से देंगे प्यार ||<br><br><br></p>
<p dir="ltr">                     मधुकर सिंह चौहान..........<br></p>
एक वक्त की भूख है ,बाकी सब बेकार ||</p>
<p dir="ltr">झूठी खुशियां है बहुत, मन में हिंसा  पाप |<br>
जो थोड़ा चिंतन करो ,सच खुश होवें आप ||</p>
<p dir="ltr">पहले पहना भगवा सूट , फिर दे दी मनमानी छूट |<br>
बुरा लगा तो बीच सभा में ,सांसद दीन्ह विधायक कूट।।</p>
<p dir="ltr">पप्पू पप्पू मिलकर बोलो ,फेंकू फेंक सके तो फेक ।<br>
तेरी फेंकी लागे ना ,बुआ भतीजे हो गये एक ।।</p>
<p dir="ltr">माना प्रहरी चोर ,उसे क्यों गले लगाया।<br>
चोर चोर थे भ्रात ,ये भारत समझ ना पाया ।।</p>
<p dir="ltr">मंत्री नेता और पुलिस ,सबको भावे घूस |<br>
पावत है कमजोर जब ,तबहि  मनावत पूस ||</p>
<p dir="ltr">सच तो कड़वा होत है, देश ठेस पहुंचाए |<br>
जाको कड़वा ना लगे ,साधु सम तेहि जान ||</p>
<p dir="ltr">लेखक कवि लिखता वही ,मन जो देखा  होय |<br>
पंडित होता वह नहीं ,जो ज्योतिष पढ़ लेय ||</p>
<p dir="ltr">बे मातायें धन्य है ,जिनके हुए शहीद |<br>
हिंदू घर होली मने ,ना मुस्लिम  घर ईद  ||</p>
<p dir="ltr">सरहद पर जब वस-चले ,कर दुश्मन का ढेर |<br>
जिनके दिल में देश है ,उनको कहां सबेर ||</p>
<p dir="ltr">जो शहीद हो देश पर ,धन्य जिंदगी हुई |<br>
बे माताएं धन्य है  ,जिन अस संतति होय ||</p>
<p dir="ltr">सरहद पर सैनिक रहे ,हर पल आंखें खोल |<br>
जिन को भाते हैं यहां ,जय माता के बोल ||</p>
<p dir="ltr">जय माता की बोल ,जिन्हें सुख पहुंचाते |<br>
जो सेवा में लीन ,वो भारत पुत्र कहाते||</p>
<p dir="ltr"> मंत्री करते हैं यहां ,इज्जत का व्यापार |<br>
खुद में है फुर्सत नहीं ,कहां से देंगे प्यार ||<br><br><br></p>
<p dir="ltr">                     मधुकर सिंह चौहान..........<br></p>
<p dir="ltr"> तेरी मीठी लागे ना बुआ भतीजे हो गई एक माना प्रहरी चोर उसे क्यों गले लगाया चोर चोर थे अब रात भारत समझ न पाया उसे क्यों गले लगाया चोर चोर थे अब रात भारत समझ ना पाया</p>
<p dir="ltr">छोटा करके देखिए, तुम अपना विस्तार |<br>
एक वक्त की भूख है ,बाकी सब बेकार ||</p>
<p dir="ltr">झूठी खुशियां है बहुत, मन में हिंसा  पाप |<br>
जो थोड़ा चिंतन करो ,सच खुश होवें आप ||</p>
<p dir="ltr">मंत्री नेता और पुलिस ,सबको भावे घूस |<br>
पावत है कमजोर जब ,तबहि  मनावत पूस ||</p>
<p dir="ltr">सच तो कड़वा होत है, देश ठेस पहुंचाए |<br>
जाको कड़वा ना लगे ,साधु सम तेहि जान ||</p>
<p dir="ltr">लेखक कवि लिखता वही ,मन जो देखा  होय |<br>
पंडित होता वह नहीं ,जो ज्योतिष पढ़ लेय ||</p>
<p dir="ltr">जय माता की बोल ,जिन्हें सुख पहुंचाते |<br>
जो सेवा में लीन ,वो भारत पुत्र कहाते||</p>
<p dir="ltr"> मंत्री करते हैं यहां ,इज्जत का व्यापार |<br>
खुद में है फुर्सत नहीं ,कहां से देंगे प्यार ||<br><br><br></p>
<p dir="ltr">                     मधुकर सिंह चौहान..........<br></p>