रिवाज़
<p dir="ltr">माँ<br>
जब से हक़ीक़त दुनिया की <br>
नज़र आने लगी है<br>
माँ मुझे तेरी अहमियत <br>
समझ आने लगी है<br>
बचपन में मां तुम बस खाना बनाने के लिए थी<br>
कपड़े मेरे सहेजने के लिए थी<br>
मै घर लौटकर जल्दी आऊँ<br>
ये इंतज़ार करने के लिए थी<br>
मैं बीमार जब भी होती पास मेरे बैठ <br>
तुम रात रात भर जागती रही<br>
मैं दोस्तो के साथ घूमूं<br>
तुम देहरी पे आँखे बिछाती रही<br>
ग़लतियाँ मैं करूँ भी तो<br>
माँ तुम सदा ही माफ़ करती रही<br>
नादान थी बहुत जो <br>
एकतरफा तुम्हारा कर्तव्य ही जाना मैंने <br>
लेकिन माँ <br>
अब सब कुछ जान गयी हूँ <br>
रूप तेरा पहचान गयी हूँ <br>
तू ही मेरे जीने का संबल है <br>
दुनिया की फितरतें हैं आग<br>
माँ तू बचाने वाली कंबल है<br>
मेरी हर अतृप्त अभिलाषाओँ को<br>
तृप्ति देती गंगाजल है<br>
मेरी आकांक्षाओं को<br>
रौशनी देती ज्योति है माँ<br>
मेरे हृदय के सीप में<br>
तू अनमोल एक मोती है माँ<br>
मेरी हर कठिन राह पर<br>
बनके हौसला सिर्फ़ तू ही तो मिलती है माँ <br>
मेरी आँखो में अब तेरे ही सपने हैं <br>
माँ अब जान गयी हूँ <br>
तू है तो सब अपने हैं माँ <br>
वर्ना दुनिया तो क्या<br>
लहू के रंग भी फीके है माँ <br>
हर गमगीन रात के बाद <br>
सुखद सवेरा है तू <br>
माँ जीवन के तूफानों मे <br>
तेरा आँचल ही आधार है <br>
उलझनों का सागर है गहरा <br>
तू ही नैया माँ तू ही पतवार है <br>
इतना आहत है दिल मेरा पर <br>
जो बाक़ी है अब भी <br>
तू वही एतवार है माँ <br>
सिर्फ़ तुझसे मेरा संसार है माँ <br>
तू ही धरती है मेरी<br>
तू ही आसमान है माँ <br>
तुझसे ही मेरे दोनों जहान है माँ <br>
वर्ना तो मेरा जीवन<br>
यहीं पूर्णविराम है माँ.. </p>
<p dir="ltr">कीर्ति प्रकाश </p>
<p dir="ltr">कीर्ति प्रकाश <br>
<a href="http://www.kirtiprakash.com"><u>www.kirtiprakash.com</u></a> </p>
जब से हक़ीक़त दुनिया की <br>
नज़र आने लगी है<br>
माँ मुझे तेरी अहमियत <br>
समझ आने लगी है<br>
बचपन में मां तुम बस खाना बनाने के लिए थी<br>
कपड़े मेरे सहेजने के लिए थी<br>
मै घर लौटकर जल्दी आऊँ<br>
ये इंतज़ार करने के लिए थी<br>
मैं बीमार जब भी होती पास मेरे बैठ <br>
तुम रात रात भर जागती रही<br>
मैं दोस्तो के साथ घूमूं<br>
तुम देहरी पे आँखे बिछाती रही<br>
ग़लतियाँ मैं करूँ भी तो<br>
माँ तुम सदा ही माफ़ करती रही<br>
नादान थी बहुत जो <br>
एकतरफा तुम्हारा कर्तव्य ही जाना मैंने <br>
लेकिन माँ <br>
अब सब कुछ जान गयी हूँ <br>
रूप तेरा पहचान गयी हूँ <br>
तू ही मेरे जीने का संबल है <br>
दुनिया की फितरतें हैं आग<br>
माँ तू बचाने वाली कंबल है<br>
मेरी हर अतृप्त अभिलाषाओँ को<br>
तृप्ति देती गंगाजल है<br>
मेरी आकांक्षाओं को<br>
रौशनी देती ज्योति है माँ<br>
मेरे हृदय के सीप में<br>
तू अनमोल एक मोती है माँ<br>
मेरी हर कठिन राह पर<br>
बनके हौसला सिर्फ़ तू ही तो मिलती है माँ <br>
मेरी आँखो में अब तेरे ही सपने हैं <br>
माँ अब जान गयी हूँ <br>
तू है तो सब अपने हैं माँ <br>
वर्ना दुनिया तो क्या<br>
लहू के रंग भी फीके है माँ <br>
हर गमगीन रात के बाद <br>
सुखद सवेरा है तू <br>
माँ जीवन के तूफानों मे <br>
तेरा आँचल ही आधार है <br>
उलझनों का सागर है गहरा <br>
तू ही नैया माँ तू ही पतवार है <br>
इतना आहत है दिल मेरा पर <br>
जो बाक़ी है अब भी <br>
तू वही एतवार है माँ <br>
सिर्फ़ तुझसे मेरा संसार है माँ <br>
तू ही धरती है मेरी<br>
तू ही आसमान है माँ <br>
तुझसे ही मेरे दोनों जहान है माँ <br>
वर्ना तो मेरा जीवन<br>
यहीं पूर्णविराम है माँ.. </p>
<p dir="ltr">कीर्ति प्रकाश </p>
<p dir="ltr">कीर्ति प्रकाश <br>
<a href="http://www.kirtiprakash.com"><u>www.kirtiprakash.com</u></a> </p>