Bookstruck

आरती युगलकिशोर की कीजै

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »

  
आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन न्यौछावर कीजै॥टेक॥
गौरश्याम मुख निरखत लीजै। हरि का स्वरूप नयन भरि पीजै॥
रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरखि मेरे मन लोभा॥
ओढ़े नील पीत पट सारी। कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥
फूलन की सेज फूलन की माला। रत्‍न सिंहासन बैठे नन्दलाला॥
मोरमुकुट कर मुरली सोहै। नटवर कला देखि मन मोहै॥
कंचनथार कपूर की बाती। हरि आए निर्मल भई छाती॥
श्री पुरुषोत्तम गिरिवर धारी। आरती करें सकल ब्रज नारी॥
नन्दनन्दन बृजभानु किशोरी। परमानन्द स्वामी अविचल जोरी॥

« PreviousChapter ListNext »