Bookstruck

श्री केदारनाथ जी की आरती

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »

   
जय केदार उदार शंकर,
मन भयंकर दुःख हरम।

गौरी गणपति स्कन्द नन्दी,
श्री केदार नमाम्यहम्।

शैल सुन्दर अति हिमालय,
शुभ मन्दिर सुन्दरम।

निकट मन्दाकिनी सरस्वती,
जय केदार नमाम्यहम।

उदक कुण्ड है अधम पावन,
रेतस कुण्ड मनोहरम।

हंस कुण्ड समीप सुन्दर,
जय केदार नमाम्यहम।

अन्नपूरणा सह अर्पणा,
काल भैरव शोभितम।

पंच पाण्डव द्रोपदी सह,
जय केदार नमाम्यहम।

शिव दिगम्बर भस्मधारी,
अर्द्ध चन्द्र विभूषितम।

शीश गंगा कण्ठ फिणिपति,
जय केदार नमाम्यहम।

कर त्रिशूल विशाल डमरू,
ज्ञान गान विशारदम।

मझहेश्वर तुंग ईश्वर,
रुद कल्प महेश्वरम।

पंच धन्य विशाल आलय,
जय केदार नमाम्यहम।

नाथ पावन हे विशालम।
पुण्यप्रद हर दर्शनम।

जय केदार उदार शंकर,
पाप ताप नमाम्यहम।।

« PreviousChapter ListNext »