Bookstruck

बृहस्पति देव महाराज की आरती

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »

   
जय बृहस्पति देवा, स्वामी जय बृहस्पति देवा।
प्रतिदिन भोग लगाऊं, फल मेवा॥ जय...
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगत पिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी॥ जय...
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हर्ता। जय...
तन-मन-धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
तब प्रभु प्रगट होकर, आकर द्वार खड़े॥ जय...
दीन-दयाल, दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप, दोष सब हर्ता, भवबंधन हारी॥ जय...
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारी।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी॥ जय...
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
सुख, आनंद, यश फैले, मनवांछित फल पावे॥ जय...

« PreviousChapter ListNext »