एक नई दुनियाँ सजाना है
*एक नई दुनियाँ सजाना है ...*
✍🏻 *बिपिन कुमार चौधरी*
वो अपने घर की लाडली थी
जो अब परायी हो गयी है ...
घर में चारों ओर चांदनी का बसेरा है,
बिटिया माँ-बाप से मिलने को घर आयी है ...
घर की चौखट पूछती है,
बहन आजकल कहाँ हो,
इस घर से मन भर गया
या मेरी सेवा से ख़फ़ा हो...
बहना प्यारी अजनबी सी देखती है,
बहुत सोच कर भी मुंह नहीं खोलती है,
मुस्कुरा कर इशारों में बयां कर जाती है,
यह दुनियाँ बड़ी खुशनुमा थी,
तेरी सेवा में भी ना कोई कमी था,
तेरी यादों को झोली आँख नम कर देती है,
फ़िर भी मुझे वापस जाना है...
एक नई दुनियाँ अब मुझे सजाना है....