रात के अन्धेरे में जुगनू से मेरी बात हुई ...
<p dir="ltr"><i><b>रात के अन्धेरे में जुगनू से मेरी बात हुई ...</b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>✍🏻 बिपिन कुमार चौधरी</b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>रात के अन्धेरे में जुगनू से मेरी बात हुई, </b></i><br>
<i><b>मेरी जिंदगी मुझसे मिलने आयी थी, </b></i><br>
<i><b>शाम तलक मेरी राह वो तकती रही, </b></i><br>
<i><b>मैं जब तलक पहुँचा रात हुई ...</b></i><br>
<i><b>रात के अन्धेरे में जुगनू से मेरी बात हुई, </b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>मेरे दिल ने जुगनू से पूछा, </b></i><br>
<i><b>आख़िर उनसे से क्या बात हुई, </b></i><br>
<i><b>अब अलग रहना बहुत मुश्किल है, </b></i><br>
<i><b>मेरे बग़ैर अब जीना मुश्किल है, बस इतनी बात हुई ...</b></i><br>
<i><b>रात के अन्धेरे में मेरी जुगनू से बात हुई ....</b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>मेरी यादों में अक्सर वो खोई रहती है, </b></i><br>
<i><b>सपनों में मुलाक़ात हो जाये, इसी चाहत में सोयी रहती है, </b></i><br>
<i><b>मोहब्बत को नजर नहीं लगे इसलिये किसी से कुछ नहीं कहती है, </b></i><br>
<i><b>सुकून के पलों से महरूम दिन और रात हुई, </b></i><br>
<i><b>रात के अन्धेरे में जुगनू से मेरी बात हुई ...</b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>सज कर आईना के सामने आने से वो डरती है, </b></i><br>
<i><b>यादों के समंदर से आखों में मोती छलक नहीं जाये, </b></i><br>
<i><b>इसी कशमकश में आईने से भी दूर रहती है, </b></i><br>
<i><b>मेरे दिलरुबा के लिये इतने मुश्किल हालात हुई, </b></i><br>
<i><b>रात के अन्धेरे में जुगनू से मेरी बात हुई ...</b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>अब दूर रहना मेरे लिये भी इतने आसां नहीं हैं, </b></i><br>
<i><b>मुश्किल यह है कि मेरी उनसे पहचान नहीं है, </b></i><br>
<i><b>मैं तुझे तन्हाई में तड़पने छोड़ दूँ, इतना भी मेरा दिल बईमान नहीं है, </b></i><br>
<i><b>तेरी एक झलक पाने के लिये मेरे नयनों से नींद गायब हुई, </b></i><br>
<i><b>रात के अन्धेरे में जुगनू से मेरी बात हुई ...</b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>सपनों की दुनियाँ में मग्न, मैं रास्ते से  अनजान था, </b></i><br>
<i><b>पहली मुलाक़ात में हीं ऐसा लगा, वर्षों से मेरा पहचान था,  </b></i><br>
<i><b>सड़क किनारे आचानक टकड़ा कर वो बेनकाब हुई, </b></i><br>
<i><b>रात के अन्धेरे में  जुगनू से मेरी बात हुई ...</b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>✍🏻 बिपिन कुमार चौधरी</b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>रात के अन्धेरे में जुगनू से मेरी बात हुई, </b></i><br>
<i><b>मेरी जिंदगी मुझसे मिलने आयी थी, </b></i><br>
<i><b>शाम तलक मेरी राह वो तकती रही, </b></i><br>
<i><b>मैं जब तलक पहुँचा रात हुई ...</b></i><br>
<i><b>रात के अन्धेरे में जुगनू से मेरी बात हुई, </b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>मेरे दिल ने जुगनू से पूछा, </b></i><br>
<i><b>आख़िर उनसे से क्या बात हुई, </b></i><br>
<i><b>अब अलग रहना बहुत मुश्किल है, </b></i><br>
<i><b>मेरे बग़ैर अब जीना मुश्किल है, बस इतनी बात हुई ...</b></i><br>
<i><b>रात के अन्धेरे में मेरी जुगनू से बात हुई ....</b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>मेरी यादों में अक्सर वो खोई रहती है, </b></i><br>
<i><b>सपनों में मुलाक़ात हो जाये, इसी चाहत में सोयी रहती है, </b></i><br>
<i><b>मोहब्बत को नजर नहीं लगे इसलिये किसी से कुछ नहीं कहती है, </b></i><br>
<i><b>सुकून के पलों से महरूम दिन और रात हुई, </b></i><br>
<i><b>रात के अन्धेरे में जुगनू से मेरी बात हुई ...</b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>सज कर आईना के सामने आने से वो डरती है, </b></i><br>
<i><b>यादों के समंदर से आखों में मोती छलक नहीं जाये, </b></i><br>
<i><b>इसी कशमकश में आईने से भी दूर रहती है, </b></i><br>
<i><b>मेरे दिलरुबा के लिये इतने मुश्किल हालात हुई, </b></i><br>
<i><b>रात के अन्धेरे में जुगनू से मेरी बात हुई ...</b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>अब दूर रहना मेरे लिये भी इतने आसां नहीं हैं, </b></i><br>
<i><b>मुश्किल यह है कि मेरी उनसे पहचान नहीं है, </b></i><br>
<i><b>मैं तुझे तन्हाई में तड़पने छोड़ दूँ, इतना भी मेरा दिल बईमान नहीं है, </b></i><br>
<i><b>तेरी एक झलक पाने के लिये मेरे नयनों से नींद गायब हुई, </b></i><br>
<i><b>रात के अन्धेरे में जुगनू से मेरी बात हुई ...</b></i></p>
<p dir="ltr"><i><b>सपनों की दुनियाँ में मग्न, मैं रास्ते से  अनजान था, </b></i><br>
<i><b>पहली मुलाक़ात में हीं ऐसा लगा, वर्षों से मेरा पहचान था,  </b></i><br>
<i><b>सड़क किनारे आचानक टकड़ा कर वो बेनकाब हुई, </b></i><br>
<i><b>रात के अन्धेरे में  जुगनू से मेरी बात हुई ...</b></i></p>