Bookstruck

आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »
आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको॥

घर-घर तुलसी ठाकुर सेवा दरसन गोविन्द जी को॥१॥

निरमल नीर बहत जमुना में भोजन दूध दही को।
रतन सिंघासण आपु बिराजैं मुकुट धर।ह्‌यो तुलसी को॥२॥

कुंजन कुंजन फिरत राधिका सबद सुणत मुरली को।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर भजन बिना नर फीको॥३॥
« PreviousChapter ListNext »