
कबीर के दोहे
by परम
कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनका लेखन सिखों के आदि ग्रंथ में भी देखने को मिलता है।
Chapters
- ठाडे बिटपर निकट कटिपर कर
- निकट भीमाके तट ठारे कर
- सब आलमका रखनेवाला बिठ्ठल
- है कुई ऐसा ये दुनयामों
- याद करो मौलाकी
- भीमा किनारे मुर्शद मोला पीर पैगंबर
- सुनो प्यारे हरीरे भगत
- देख बे देखें यह अलखने पलखमें खलक
- बंगला खूप बनायाबे अंदर
- क्या खुब सुरत
- देख आगे आंखिया न बुझे
- नरतनुसे आया बाबा मुखकमल
- क्या देखे चमडेकी बर्हाई
- नरतनु जावे पस्तावेगा
- तनका नहीं भरोंसा






