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दिसत न कशी ममता ! कवि पि...

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अंक पहिला - प्रवेश पहिला - पद ११

दिसत न कशी ममता ! कवि पिता हो माता ॥धृ०॥

दुःखित जगासि दयार्द्र लोचन कविजन । विकसवि आतां नयन ॥१॥


राग भीमपलास, ताल त्रिवट.

("तुमसन लागी रटना" या चालीवर.)

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