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मद्य -वपु -घट लत्ताप्रहार...

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अंक पहिला - प्रवेश चवथा - पद २२

मद्य-वपु-घट लत्ताप्रहारें फुटत हे,

रुधिरसम मत्तमद वाहे, न भू भार साहे ॥ध्रु०॥

मधु-वध-कुपित समर जारे गुरुवर करी घोर,

विगतविजय कच नोहे ॥१॥


राग सोहनी, ताल त्रिवट

("काहे अब तुम आये" या चालीवर.)

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