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देव , सुरालय हें पाहुनिया...

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अंक दुसरा - प्रवेश तिसरा - पद २७

देव, सुरालय हें पाहुनियां, वंदिति मोहित शोध-कपाया ॥धृ०॥

मांसल गिरि हा प्रसावेत मदिरा, वाहिनि मादक-तोषद-तोया ॥१॥


राग झिंजोटी; ताल केरवा.

("रंग उडावत ले चलोरे भैय्या" या चालीवर.)

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