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धनवरविरहित सुख फुकट मान ,...

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अंक दुसरा - प्रवेश चवथा - पद २९

धनवरविरहित सुख फुकट मान, युवराज देत सौख्यदान;

मजसि समज भाग्यवान धनिक प्राण ॥धृ०॥

मद्य तेंवि धन मादक मोहन, धनिकविरह मज मरण जाण ॥१॥


राग सिंधभैरवी; ताल त्रिवट.

("तिखे नैन चितबर" या चालीवर.)

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