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लोळत कच मुखमधुवरि , त्यां...

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अंक दुसरा - प्रवेश पांचवा - पद ३२

लोळत कच मुखमधुवरि, त्यांसि तोंचि कर निवारि !

भ्रमरयोग कमलभोग, या धर्मा दूर न करि ॥ध्रु०॥

शिक्षेला कच न पात्र; देवयानि, तूंचि शपथ,

सफलकाम नलिनिनाथ दुखवि न वनिं कच यापरि ॥२॥


राग पहाडी; ताल एक्का.

("जोबन मदभर चलि आई, " या चालीवर.)

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