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तेजा नभिं ज्या साहवेना , ...

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अंक दुसरा - प्रवेश पांचवा - पद ३५

तेजा नभिं ज्या साहवेना,

तें देई मृदुला शोभा नयना ॥धृ०॥

सत्या कठोरा ज्या सोसवेना,

करि तेंचि तव मुख मधु मना ॥१॥

बहुदुःख संसार, परि दे जनां

अति सौख्य साध्वीसंगें जाणा ॥२॥


("सांकल्पमे टीदो" या कानडी चालीवर.)

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