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प्रेमदान मद्यपान वर्षो अज...

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अंक तिसरा - प्रवेश तिसरा - पद ५०

प्रेमदान मद्यपान वर्षो अजि, वारि जलद जेंवि, मधुनगरी;

प्रीतिपात्र घेवो मधुसि मात्र रात्र सारि ॥ध्रु०॥

लुटित रमणसुख नरगण, त्यजित गर्व धुंद सर्व नारी;

मदनविजय मधुमद धरि ॥१॥


राग वसंत, ताल एक्का.

("येंडी येंडी गैलि गैलि" या चालीवर.)

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