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मी वज्र-मुष्टि, रिपुगण चू...

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अंक पहिला - प्रवेश पहिला - पद ७

मी वज्र-मुष्टि, रिपुगण चूर्ण करिन; होत गिरिवरि जललहरी बहु कणकण ॥ध्रु०॥

मरण बाहु हा, अरिवर रणांत देखतांचि झाले कष्टी ॥१॥

(राग - श्रीराग, ताल - एक्का. 'ध्‌मध्‌निसा' या चालीवर.)

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