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जा , भय न मम मना ; मंडप स...

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अंक दुसरा - प्रवेश पहिला - पद २३

जा, भय न मम मना; मंडप सबल, समरानल - महाज्वाले जळेना ॥ध्रु०॥

शिशुपाल-वैराग्नि पेटला, भेटला जणु कृष्णबल-सागर तयाला ॥१॥

(राग - मालकंस, ताल - झपताल. 'सा सुंदर बदन' या चालीवर.)

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