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सुंदर -मुख ललना , निजजनक ...

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अंक दुसरा - प्रवेश दुसरा - पद २८

सुंदर-मुख ललना, निजजनक-कुल-मना, तनमन नच देई

अधम जना;- सहज असा नियम दावि निजलग्नी,

सदय-ह्रदय विनय-विनत न्यायरत नीतियुत अंगना ॥ध्रु०॥

सुखद लग्न असु-विकसन; नरतनु बलधन कर्मधाम, सुखविलासनी कुशल नाही वधुसमान;

नीकटि गमन धर्म जाण; नयविनयचि पथ विशाल संलग्न ॥१॥

(राग - हमीर, ताल - एकताल; 'दीम् दारा दिर दिर' या चालीवर)

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