Bookstruck

अमर अजर वपु -धर कंस मीच ,...

Share on WhatsApp Share on Telegram
« PreviousChapter ListNext »

अंक तिसरा - प्रवेश चौथा - पद ४२

अमर अजर वपु-धर कंस मीच, अवतारचि ठाकलो समरी;

चुरडिन यदुवर प्रियकर तुज जरि ॥ध्रु०॥

क्रोधे लाल होत काळ, बघ आलो अजि भूवरि, कपट-पटु अरि पुनरपि असु न धरि ॥१॥

(राग - परज, ताल - त्रिवट; 'पवन चलसि' या चालीवर.)

« PreviousChapter ListNext »