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वैरि मारायाला , ही गोशाला...

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अंक चवथा - प्रवेश दुसरा - पद ५०

वैरि मारायाला, ही गोशाला ॥ध्रु०॥

प्रमुदित माता, रिपुबल नमविता; करि मृदुल दूध अरि-वध; सबल अबला ॥१॥

(राग - मालकंस, ताल - तिताला; 'कृष्णमाधो राम' या चालीवर.)

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