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राधाधरमधुमिलिंद । जयजय रम...

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विठाई माजली, या चालीवर


राधाधरमधुमिलिंद । जयजय रमारमण हरि गोविंद ॥धृ०॥
कालिंदी-तट-पुलिंद-लांछित सुरतनुपादारविंद । जय०॥१॥
उद्‌घृतनग मध्वरिंदमानघ सत्यपांडपटुकुविंद ।जय०। ॥२॥
गोपसदनगुर्वलिंदखेलन बलवस्तुतिते न निंद ।जय० ॥३॥

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