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दैवयोग दुर्विपाक आजि जाहल...

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वासुदेवि रंगतांचि, या चालीवर


दैवयोग दुर्विपाक आजि जाहला
पुण्यबळे प्राप्त लाभ मीच दवडिला ॥धृ०॥
धर्मशद्बभये केलि मनी वानवा ।
नाहि खचित सोडिलि इस भिउनि यादवा
दिधले असतेचि बळी सर्व गांडिवा
काय वदू फसलि गोष्ट मार्ग खुंटला ।दै० ॥१॥

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