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वरि गरिबा वीरा जी अबला , ...

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राग झिंजोटी, ताल केरवा.

वरि गरिबा वीरा जी अबला, सुख संसारीं तें कविं तिला ॥ध्रु०॥

राघव तोडित धनु ऋषिवेषें, मग जाई वना सीता बाला ॥१॥

अधन धनंजय मीनवधा करी, वनीं वास मग पांचालीला ॥२॥

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