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धनी मी , पति वरिन कशी अधन...

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राग भूप. ताल त्रिवट.

धनी मी, पति वरिन कशी अधना । पति जरि अधन, निधतसम ;

मानी भामा विफल इतर सगुणा ॥ध्रु०॥

प्रखर पराक्रम वीर भानु भुलवित उषा रक्तवदना ।

तोचि निकट मग जातां जाळी तिजला; ऐशी भीति मना ॥१॥

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