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चंद्रिका ही जणुं ठेवि या ...

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ताल दादरा

चंद्रिका ही जणुं ठेवि या स्नेहें कमलांगणीं ।

कुसुमबांधव श्यामला मेघा तस्कर मानोनी ॥ध्रु०॥

चंद्रसदननभमंडला मेघांनीं वेढियलें ।

शोभाधन विपुल तें लपवितां कोपें भरलें ।

शोधित वेगेम दशदिशा भूवरी सकल आलें ।

आतां निकरें सरसावलें, दिसत ही या क्षणीं ॥१॥

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